Book Review: Ghummakkadi Dil Se

Book: Ghummakkadi Dil Se(Hindi)
Author: Alka Kaushik
Genre: Non- Fiction(Travel)
Publisher: Bhavna Prakashan

Book cover मुझे किस्से कहानियों को पढ़ने का शौक बचपन से लग गया था और अमर चित्र कथा और चंदामामा जैसी किताबों के भरोसे छुट्टियां बहुत मज़े में निकलती थीं | बाबा की घर पर पड़ी हुई उपन्यासों को पढ़ते पढ़ते चस्का और भी गहरा हो गया| फिर क्या था जब जहाँ जो किताब मिलती थी लाइब्रेरी में , दोस्तों के घर, रैलवेस्टैशन की दुकानों पर सब पढ़ लेने का लालच हो उठता था | एक समय ऐसा था की मैं लिस्ट बनाती  थी पढ़ी हुई किताबों की | कॉलेज के दिनों में विदेशी लेखकों को जी भर के पढ़ा और अंग्रेजी में लिखना और भाषा को आकर्षक बनाना इसी किताबों के प्रेम से आया |

अमूमन मैं अंग्रेजी में अपनी बात कहती हूँ| आसान लगता है अब | पर मुझे अपनी हिंदी भाषा से भी बहुत प्रेम है | मेरी कवितायेँ ज्यादातर हिंदी में होती हैं क्यूंकि में मानती हूँ हिंदी में जितना रस  और भाव व्यक्त करने की क्षमता है वो किसी और भाषा में नहीं | एक एक शब्द के कम से कम पांच पर्यायवाची शब्द तो यूँ ही मिल जायेंगे जिनको वाक्य  के अनुसार प्रयोग किया जा सकता है |

तो सोचा इस बार अलका कौशिक द्वारा हिंदी भाषा में सैर-सपाटे पर लिखी किताब ”घुमक्कड़ी दिल से” की समीक्षा भी हिंदी में ही की जाए आखिर हिंदी भाषा पर मजबूत पकड़ वाली इस लेखिका का हिंदी में लिखने का एक कारण ये भी तो है की वे सभी लोग जो हिंदी भाषी हैं उन्हें भी देश विदेश की जगहों के बारे में पता चले| अंग्रेजी लेखों तक सब की पहुँच भी नहीं होती |

अलका कौशिक ट्रेवल ब्लॉगर हैं और सियाचिन से ले कर दक्षिण भारत के कई पड़ाव और राजस्थान से लेकर भारत के नार्थ ईस्ट राज्यों का भ्रमण कर चुकी हैं | यही नहीं उनके कदम विदेशों में भी कई रास्ते नाप चुके हैं | उन्होंने रोमानिया के भारत आधारित इवेंट में भारतीयता का झंडा लहरा डाला है |

जाहिर सी बात है की जिसने इतना घूमना घुमाना किया है उसके पास किस्से कहानियों का खजाना ही होगा और साथ ही अपार अनुभव | और ऐसे में ब्लॉग, अख़बारों और पत्रिकाओं के आगे खुद किताब  लिखना एक स्वाभाविक सी सीढ़ी हुई | अलका कौशिक ने अपनी कई  यात्राओं के अनुभव और सैलानियों के लिए उपयोग आने वाली जानकारी अपनी पहली किताब ‘घुमक्कड़ी दिल से‘ में बड़े प्यार से पिरो डाली हैं |

अलका की विदेश यात्राओं में से कुछ जैसे की बाली , भूटान, यूरोप के कुछ भाग , रोमानिया, कैलास मानसरोवर अदि का उल्लेख इस पुस्तक में है | यूरोप टूर पर अपनी माँ को ले जाने की ख्वाइश में स्पेन, पुर्तगाल के कई हेरिटेज से लेकर खानपान के पहलु छान लिए है जैसे लिस्बन का द फ़ूड टेम्पल नामक रेस्तरां जहाँ रोज़ वेगन मेनू दुनिया के हर कल्चर से प्रेरित होता है, मेड्रिड में यूरोप का सबसे बड़ा फ़्ली मार्किट की रौनक का विवरण है | थाईलैंड के हाइवे, पैगोडा, ताईवान के नाईट मार्केट भी शब्दों में घूमने को मिलते हैं और रोमानिया की राजधानी में धूम मचता नमस्ते इंडिया उत्सव भी |

भारत यात्राओं की फेहरिस्त में चम्बल की घाटियां से लेकर भीमबेटका के पुरातन गुफा चित्र, लद्दाख  और सियाचिन और कई अन्य रोमांचक किस्से घूमने जाने को प्रेरित करते हैं | अपनी बातचीत के अंदाज़ में लिखी हुई ये ट्रेवल मेमॉयर एक इजी रीड है और घूमने का शौक रखने वालों क लिए जिज्ञासा जगा जाती है |

अगर आप को घुम्मक्कड़ी का शौक है तो इस पुस्तक को पढ़ने का लुत्फ़ ज़रूर उठाएं और हिंदी और कुछ उर्दू शब्दों के मिलान से भाषा की मधुरता का आनंद भी लें |

Yaari Dosti….

अमीरी गरीबी से परे हो
अहं से न घिरी हो
शर्तों में न बंधी हो
जिंदगी के तूफानों से लड
लौ जिसकी न बुझी हो
दोस्ती वो निराली है
नखरे उठाती नखरे दिखाती
उसकी नोंकझोंक ही बडी प्यारी है
गुनगुनी धूप सी
मन हरा कर जाए
दोस्ती तो वही निभाने वाली है
गिनती के ही हों सही
अपने यारों की लेकिन
खासी ऐसी यारी है

बार बार वही घाव……

बार बार वही घाव,

कभी शब्दों से किया आघात,

लबों को सी कर किये कभी वार…..