अमीरी गरीबी से परे हो
अहं से न घिरी हो
शर्तों में न बंधी हो
जिंदगी के तूफानों से लड
लौ जिसकी न बुझी हो
दोस्ती वो निराली है
नखरे उठाती नखरे दिखाती
उसकी नोंकझोंक ही बडी प्यारी है
गुनगुनी धूप सी
मन हरा कर जाए
दोस्ती तो वही निभाने वाली है
गिनती के ही हों सही
अपने यारों की लेकिन
खासी ऐसी यारी है
बहुत खूब बहुत ही अच्छा लिखा है आपने।
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thank you so much.
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वाह वाह जनाब क्या कहने
यारी को सलाम 😊
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यकीनन सलाम
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