जनता फिर सड़कों पर उतर आई है,
तब सत्याग्रह की हवा चली थी,
अब लोकपाल आन्दोलन की आंधी आई है!
तब गांधी ने गुहार लगाई थी,
अब अन्ना की बारी आई है!
बहार वालों से तब गाँधी ने,
बागडोर वापस लायी थी,
बेचारे अन्ना की तो,
अपनों से ही लड़ाई है !!
भ्रष्टाचार की पतंग,
हम सभी ने तो उड़ाई है,
सौ-पचास देकर,
घूसखोरों की हिम्मत भी बढ़ाई है…..
तब अंग्रेजों ने लूटी थी,
अब खुद ही हमने अपनी,
ये हालत बनाई है…
नरसिंह, मुलायम, लालू, फूलन
अम्मा, दीदी, बेहेंजी,
जाने ऐसे कितनो को,
हमने ही गद्दी दिलाई है!
अब क्यों दे दोष,
जब आफत खुद ही बुलाई है?
हाँ, अन्ना ने की अगुवाई है..
पर अजब है …
ये तो हमने अपने ही विरुद्ध ,
अपनी आवाज़ उठाई है..!!!
अब अन्ना की बारी आई है..
अब अन्ना की बारी आई है..